।। श्रीः ।।

卐 नमो राघवाय 卐

जीवनवृत्त-विवरण (बायोडाटा)

जगद्‌गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य (पद्मविभूषण से सम्मानित)

कण्टकवृन्द के बीच खिले अलिगुञ्जन को अनुकूल बने हम।
आतप शीत बयार सहे पशुओं के लिए प्रतिकूल बने हम।
माली की माला की शोभा बढ़ाकर भामिनी केश दुकूल बने हम।
जीवन की बगिया में अहो शतशूल सहे फिर फूल बने हम।।

व्यक्तिगत विवरण

  • नाम: जगद्‌गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य
  • पूर्वाश्रम: डॉ० गिरिधर लाल मिश्र
  • वर्ण: हिन्दु - ब्राह्मण
  • वर्तमान: चतुर्थाश्रमी त्रिदण्डी संन्यासी
  • सम्प्रदाय: श्रीरामानन्द सम्प्रदाय
  • पद: श्रीचित्रकूटतुलसीपीठाधीश्वर जगद्‌गुरु रामानन्दाचार्य (इस शताब्दी के संस्कृत में प्रथम प्रस्थानत्रयी भाष्यकार)
  • जन्मतिथि: १४ जनवरी १९५०
  • जन्मस्थान: शाण्डीखुर्द, जौनपुर (उत्तरप्रदेश)
  • विशेष: जन्म के दो महीने पश्चात् ही भौतिक नेत्र ज्योति समाप्त। जन्म के ठीक पाँच वर्ष पश्चात् सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता कण्ठस्थ। १४ जनवरी १९५७ को सम्पूर्ण श्रीरामचरितमानस कण्ठस्थ। एक ही बार सुनकर किसी भी विषय को कण्ठस्थ करने की असाधारण शक्ति।

शिक्षा

  • प्रारम्भ से परास्नातक पर्यन्त अर्थात् प्रथमा, पूर्वमध्यमा, उत्तरमध्यमा, शास्त्री तथा आचार्य पर्यन्त सब में प्रथम श्रेणी-प्रथम स्थान।
  • १९७३ में नव्यव्याकरण से शास्त्री, किन्तु अंकों के आधार पर सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के सभी विभागों में सर्वाधिक अङ्क, यूनीवर्सिटी टॉप, प्रथम स्थान तथा एक स्वर्णपदक।
  • १९७५ में अखिल भारतीय संस्कृतवादविवाद प्रतियोगिता में सर्वप्रथम कुलाधिपति स्वर्णपदक।
  • १९७६ में नव्य व्याकरणाचार्य की परीक्षा में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के सभी विभागों में सर्वाधिक अङ्क, सम्पूर्ण यूनीवर्सिटी टॉप तथा सात स्वर्णपदक।
  • १९७८ में जे०आर०एफ०।
  • १९८१ में पी-एच्०डी०, विषय- "अध्यात्मरामायणे अपाणिनीयप्रयोगाणां विमर्शः"
  • १९९६ में डी०लिट्० (वाचस्पति) विषय "अष्टाध्याय्याः प्रतिसूत्रं शाब्दबोध समीक्षणम्" यह शोधप्रबन्ध संस्कृत में १९७५ पृष्ठों में है, जो विश्व का वृहत्तमशोधप्रबन्ध है।

उपलब्धियाँ

  • १९ नवम्बर १९८२ को श्रीचित्रकूट (म०प्र०) में श्रीतुलसीपीठ की स्थापना।
  • २४ जून १९८८ को जगद्‌गुरु रामानन्दाचार्य पद पर सर्वसम्मति से मूर्धाभिषेक।
  • ६ अप्रैल १९९८ को प्रस्थानत्रयीभाष्य का भारत के तत्कालीन यशस्वी प्रधानमन्त्री मा० अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लोकार्पण।
  • ११ अप्रैल १९९८ को विश्वधर्म संसद, शिकागो द्वारा "धर्मचक्रवर्ती" उपाधि।
  • २०१५ में भारत सरकार द्वारा "पद्मविभूषण सम्मान"।

संस्कृत साहित्य

  • संस्कृतमहाकाव्यम् श्रीभार्गवराघवीयम्।
  • संस्कृतगीतमहाकाव्यम् गीतरामायणम् (गीतसीताभिरामम्)।
  • संस्कृतखण्डकाव्यम् आजादचन्द्रशेखर चरितम्।
  • संस्कृतपत्रकाव्यम् कुब्जापत्रम्।
  • संस्कृतचित्रकाव्यम् लघुरघुवरम्।

© जगद्‌गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य

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